बसंत
आयो आयो रे ऋतु मनभlवन पर्व बसंत!
मां वीणा वादिनी की ऋचायें हैं दिग-दिगंत!!
पीली-पीली सरसों फूली,खिले कुसुम अनंत!
प्रेम-पपीहा कूके मन में,भूले समस्याये ज्वलन्त!!
तृतीय विश्व युद्ध की मुडेर पर बैठा मानव भयाक्रातं!
विश्व बन्धुत्व स्थlपित हो, बैर भाव का हो अंत तुरंत!!
शिछा -दीछा विफल है,यदि मानव मानव का करता अंत!
वसुधैव कुटुम्बकम की भावना स्थापित करे मोदी सा संत!!
बोधिसत्व कस्तूरिया एडवोकेट,कवि,पत्रकार
202 नीरव निकुजं,फेस-2.सिकंदरा,आगरा -282007
मो:9412443093