Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Feb 2022 · 1 min read

बसंत मेरे हिस्से का

बसंत बस अब
अंत कर दो।
झर रहे सब पात का,
हो रहे उत्पात का,
मन के हर आघात का।
है सुना सबसे ही मैंने
और खुद जाना भी है
चेतना तुम में बहुत है
सृष्टि में संचार की।
दो मुझे भी ये कुशलता
निज में इस व्यवहार की।
भर दो मन में भावना
स्वप्नों का नव अंकुरण,
अनिष्टता का संवरण,
फिर नए उत्साह की।
पा तुम्हें जो प्रकृति
ये चेतन हुई सब ।
जीवनी इतनी कहां से
ला रहे तुम ?
शीत से जो झर रही
सब पौध को,
देे रहे नव
गात का उपहार तुम।
आनन्द तुम लुटा रहे
जन मन सभी हरषा रहे
किन्तु मेरे हिस्से में
ये जीवनी क्यों आ न पाई ?
ईश का आदेश ये
या है तुम्हारी ही ढिठाई।

.

Language: Hindi
1 Like · 364 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Saraswati Bajpai
View all
You may also like:
निबंध
निबंध
Dhirendra Singh
■सामयिक दोहा■
■सामयिक दोहा■
*प्रणय प्रभात*
कभी - कभी सोचता है दिल कि पूछूँ उसकी माँ से,
कभी - कभी सोचता है दिल कि पूछूँ उसकी माँ से,
Madhuyanka Raj
मुस्कुराती आंखों ने उदासी ओढ़ ली है
मुस्कुराती आंखों ने उदासी ओढ़ ली है
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
क्रेडिट कार्ड
क्रेडिट कार्ड
Sandeep Pande
बिल्ली
बिल्ली
SHAMA PARVEEN
मुक्तक
मुक्तक
पंकज कुमार कर्ण
पता पुष्प का दे रहे,
पता पुष्प का दे रहे,
sushil sarna
जीवनसाथी
जीवनसाथी
Rajni kapoor
चाहता है जो
चाहता है जो
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
उदास आँखों से जिस का रस्ता मैं एक मुद्दत से तक रहा था
उदास आँखों से जिस का रस्ता मैं एक मुद्दत से तक रहा था
Aadarsh Dubey
करूण संवेदना
करूण संवेदना
Ritu Asooja
तू सहारा बन
तू सहारा बन
Bodhisatva kastooriya
"दीवारें"
Dr. Kishan tandon kranti
मौलिक विचार
मौलिक विचार
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
ध्यान-उपवास-साधना, स्व अवलोकन कार्य।
ध्यान-उपवास-साधना, स्व अवलोकन कार्य।
डॉ.सीमा अग्रवाल
*कहते यद्यपि कर-कमल , गेंडे-जैसे हाथ
*कहते यद्यपि कर-कमल , गेंडे-जैसे हाथ
Ravi Prakash
मतदान करो और देश गढ़ों!
मतदान करो और देश गढ़ों!
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
इश्क़ में
इश्क़ में
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
*माँ सरस्वती जी*
*माँ सरस्वती जी*
Rituraj shivem verma
भले वो चाँद के जैसा नही है।
भले वो चाँद के जैसा नही है।
Shah Alam Hindustani
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
पगली
पगली
Kanchan Khanna
करवाचौथ
करवाचौथ
Mukesh Kumar Sonkar
आप और हम जीवन के सच....…...एक कल्पना विचार
आप और हम जीवन के सच....…...एक कल्पना विचार
Neeraj Agarwal
ये कमाल हिन्दोस्ताँ का है
ये कमाल हिन्दोस्ताँ का है
अरशद रसूल बदायूंनी
1) आखिर क्यों ?
1) आखिर क्यों ?
पूनम झा 'प्रथमा'
दिल के हर
दिल के हर
Dr fauzia Naseem shad
उगते विचार.........
उगते विचार.........
विमला महरिया मौज
आखिर कुछ तो सबूत दो क्यों तुम जिंदा हो..
आखिर कुछ तो सबूत दो क्यों तुम जिंदा हो..
कवि दीपक बवेजा
Loading...