बसंत पंचमी
हे वीणावादिनी ज्ञानदायिनी माँ शारदे
जीवन में हर अज्ञानता से हमें तार दे माँ
ज्ञान की ज्योति से भविष्य संवार दो
कर्म पथ पर अग्रसर रहें ऐसा वर दो
स्वर की देवी माँ संगीत तेरा
हर शब्द है हर गीत तेरा
हम अबोध बालक माँ शारदे
शरण अपनी हमें दो माँ
वीणा के तारों को झंकृत कर
जीवन में नवराग उन्माद भर दो
जब जब वीणा झंकार करें
तब गायक को नव प्राण मिलें
गुणियों में स्थान रहे
सहज स्वयं भगवान मिलें
विद्या धन अनमोल सदा
ज्यों ज्यों खर्चे त्यों त्यों बढ़ता सदा
हे वीणावादिनी माँ वर दो
अज्ञानता से हमें तार दो
नेहा
खैरथल अलवर (राजस्थान)