बसंत का मौसम
लाल-पीले नीले-गुलाबी, महकते फूलों का नजारा ।
बसंत का मौसम, कितना सुंदर, कितना प्यारा ।।
कोयल कुकती डालों पर, भंवरा फूलों पर मंडराता ।
पी कर वह पुष्प मधु, प्रणय का गीत गाता ॥
रोम–रोम में सिहरण भरती, मदमाती बासंती ब्यार ।
पीले वस्त्र पहन धरणी ने, कि है सोलहो श्रृंगार ॥
फुलों की बहारों से मही पर, आनंद की लहर छाई ।
सुखे हुए विटपों में भी, अब नई कोपलें फूट आई ॥
सम्मोहन में डुबी चेतना, मन हुआ भाव विभोर ।
प्रकृति कि प्रेयस भाव, मन को दे रही झकझोर ॥
मानव के कोमल मन में, प्रेम का विस्तार हुआ ।
बसंत ऋतु के आने से, नवचेतना का संचार हुआ ॥
*********