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10 Apr 2024 · 1 min read

छिप न पाती तेरी ऐयारी है।

छिप न पाती तेरी ऐयारी है।
मुझको भाती ये अदाकारी है।

आपके बिन भी जिंदगी हमने।
आपके साथ ही गुज़ारी है।

मेरी नजरों में जो खुमारी है।
तेरी नजरों का नशा तारी है।

खर्च यह हो रही है फुटकर में।
जिंदगी अपनी रेजगारी है।

आदमी के समझ के बाहर है।
ऐसी कुदरत की दस्तकारी है।

आप आए मिजाज़ पुरसी को।
जानता हूं ये दुनिया दारी है।

हो सके तो उसे चुकाता चल।
तुझपे जो भी “नज़र” उधारी है।
Kumar kalhans

Language: Hindi
22 Views
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