बलात्कार
गिरते हुए परिवेश में, अपने ही वेश में, ज्यादातर अहित करता यह समाज का दानव। कितनी घृणित, विकृत मानसिकता हैं, बलात्कार। उसपर हत्या जघन्य अपराध, फिर भी करते हुए नही शर्माते,ना डरते ये नर-पिशाच । इससे बुरा क्या होगा। इससे गिरा कर्म अब क्या होगा।। ये अहित व्यक्ति, घर, परिवार, समाज, सबका है।ये निंदनीय अपराध क्षमा योग्य नहीं, इससे बड़ी वेदना क्या होगी ।। इससे बुरा क्या होगा। इससे गिरा कर्म अब क्या होगा।।—–डॉ. सीमा कुमारी,
18-8-024 की, मेरी स्वरचित रचना है ।