बर्बादियों को जा गले मिले !
जो फेर लेते हो चेहरा ज्यों ही नज़र मिले,
लगता है कि हम हैं कहीं पर पहले मिले,
इत्तेफ़ाक़न या गहरी साज़िश है कोई,
फिर जो आ चाहतों के सिलसिले मिले,
आबाद रहने की है ख़्वाहिश लोगों की,
और हम कि बर्बादियों को जा गले मिले,
हुआ रफ़ीक़-ओ-रक़ीब पे यकसां असर,
हमारी खुशियों से सबके दिल जले मिले,
अपने-पराये मुख़्तलिफ़ कहाँ अब जनाब,
हमारे दोस्त भी हैं दुश्मनो में जा रले मिले,
‘दक्ष’ के नेक इरादे हौसलों में ढले मिले,
सर करने को जाने कितने मरहले मिले,
विकास शर्मा ‘दक्ष’