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12 Feb 2022 · 1 min read

बरसो रे मेघा झर-झर

आइ कारि मेघ घिरल
रूप ओतबे उतान
भीजतय ओ धरा
जे बड्ड पियासल
केउ देखै उपर
केउ नीचे
उडैत धूल
पियासल मनुख
माटि केर सेवक
ओ देसक क्रांतिवीर
फूल लऽ बाट निहारैत
ज्वार कैयसे बुझत
बरसु हे मेघ झर-झर
मायक ममता जइसे
बड्ड निन्न मे सोयब
बड्ड उमंगसँ जागब
आखि मुन्नी लैत छी
बरसो रे मेघा झर-झर
एक बुन्न अमृत
फेर घटा घनघोर
अन्हरिया जइसे छटल
आह वाह बड्ड सुनर
सोनगर सन
तिरपित भेल भागीरथी

मौलिक एवं स्वरचित
© श्रीहर्ष आचार्य

Language: Maithili
392 Views

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