बरसो मेघ छन छन
बादल घुमड़ घुमड़ कर बरसो ,
जन जन में खुशहाली लाओ
आवाहन करते हैं पपीहा,
वर्षों की तुम प्यास बुझाओ
सूखी धरती सूखी नदियां
सूख पड़े हैं वृक्ष धरा के
फिर से तुम हरियाली लाओ
बादल घुमड़ घुमड़ कर बरसो
जन जन में खुशहाली लाओ
हृदय फटा है धरती का तपन से
उसे स्नेह से फिर से मिलाओ
बादल घुमड़ घुमड़ कर बरसो
जन जन में खुशहाली लाओ
ग्रीष्म तपन है दिल जलाती
मिलन राह मे फिर आ जाओ ।
स्वागत करते दादुर केकी ,
उनके मन को आ हर्षाओ।
बादल घुमड़ घुमड़ कर बरसो
जन जन में खुशहाली लाओ।
#विन्ध्य_प्रकाश_मिश्र_विप्र