*बरसे एक न बूँद, मेघ क्यों आए काले ?*(कुंडलिया)
बरसे एक न बूँद, मेघ क्यों आए काले ?(कुंडलिया)
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आए काले वारिधर ,तृण-भर भरा न नीर
बंदर – घुड़की दे गया , मानो कोई वीर
मानो कोई वीर , न कोरे प्यास बुझाते
बरसा कब आकाश , गेह सूखे रह जाते
कहते रवि कविराय ,कहें कैसे दिलवाले
बरसे एक न बूँद ,मेघ क्यों आए काले
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वारिधर = बादल
नीर = पानी
बंदर घुड़की = केवल डराना
कोरे = खाली
तृण = तिनका
गेह = गृह ,घर
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451