Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Jun 2023 · 1 min read

सम्बंध बराबर या फिर

सम्बंध बराबर या फिर
नीचे वाले से बनाएं।
जो आपको सुख में साथ रख सके
और आप दुःख में उसके साथ
बिना हिचक खड़े हो सकें।

■प्रणय प्रभात■

1 Like · 82 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
रंगमंचक कलाकार सब दिन बनल छी, मुदा कखनो दर्शक बनबाक चेष्टा क
रंगमंचक कलाकार सब दिन बनल छी, मुदा कखनो दर्शक बनबाक चेष्टा क
DrLakshman Jha Parimal
World Hypertension Day
World Hypertension Day
Tushar Jagawat
2782. *पूर्णिका*
2782. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अंत समय
अंत समय
Vandna thakur
तारों के मोती अम्बर में।
तारों के मोती अम्बर में।
Anil Mishra Prahari
Little Things
Little Things
Dhriti Mishra
अपनी कद्र
अपनी कद्र
Paras Nath Jha
हिंदीग़ज़ल की गटर-गंगा *रमेशराज
हिंदीग़ज़ल की गटर-गंगा *रमेशराज
कवि रमेशराज
मौन आँखें रहीं, कष्ट कितने सहे,
मौन आँखें रहीं, कष्ट कितने सहे,
Arvind trivedi
जय श्री कृष्ण
जय श्री कृष्ण
Bodhisatva kastooriya
बापू तेरे देश में...!!
बापू तेरे देश में...!!
Kanchan Khanna
हे राघव अभिनन्दन है
हे राघव अभिनन्दन है
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
चाँद पर रखकर कदम ये यान भी इतराया है
चाँद पर रखकर कदम ये यान भी इतराया है
Dr Archana Gupta
बदलती दुनिया
बदलती दुनिया
साहित्य गौरव
डॉक्टर
डॉक्टर
Dr. Pradeep Kumar Sharma
बाल कविता: मोर
बाल कविता: मोर
Rajesh Kumar Arjun
मैं तो महज प्रेमिका हूँ
मैं तो महज प्रेमिका हूँ
VINOD CHAUHAN
जीवन तब विराम
जीवन तब विराम
Dr fauzia Naseem shad
चलो♥️
चलो♥️
Srishty Bansal
मर्त्य ( कुंडलिया )
मर्त्य ( कुंडलिया )
Ravi Prakash
चार दिन की ज़िंदगी
चार दिन की ज़िंदगी
कार्तिक नितिन शर्मा
वो आए और देखकर मुस्कुराने लगे
वो आए और देखकर मुस्कुराने लगे
Surinder blackpen
All good
All good
DR ARUN KUMAR SHASTRI
1) आखिर क्यों ?
1) आखिर क्यों ?
पूनम झा 'प्रथमा'
आज की तारीख़ में
आज की तारीख़ में
*Author प्रणय प्रभात*
*डूबतों को मिलता किनारा नहीं*
*डूबतों को मिलता किनारा नहीं*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मैं लिखता हूं..✍️
मैं लिखता हूं..✍️
Shubham Pandey (S P)
बड़ा सुंदर समागम है, अयोध्या की रियासत में।
बड़ा सुंदर समागम है, अयोध्या की रियासत में।
जगदीश शर्मा सहज
खुद में, खुद को, खुद ब खुद ढूंढ़ लूंगा मैं,
खुद में, खुद को, खुद ब खुद ढूंढ़ लूंगा मैं,
सिद्धार्थ गोरखपुरी
ना मंजिल की कमी होती है और ना जिन्दगी छोटी होती है
ना मंजिल की कमी होती है और ना जिन्दगी छोटी होती है
शेखर सिंह
Loading...