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23 May 2024 · 1 min read

बरसात

मौसम ने फिर से ली अंगड़ाई है।
फ़िज़ा में फिर से मस्ती छायी है।

कब तलक चुप रहे ये वादियाँ भी।
हवा भी अब ख़ूब शोर मचायी है।

हर पेड़, पौधा और पत्ती खुशी से।
झूम झूम कर गीत नयी गायी है।

बादल दहाड़ने लगे आसमान से।
देखो बरसात मुसलाधार आयी है।

ज़मीं थी बेचैन प्यास की सिद्दत से।
नन्हे बूंदों ने ही ये प्यास बुझायी है।

पशु,पक्षी,प्राणी, इंसान तड़पते रहें।
इस वर्षा ने इनकी जानें बचायी है।

बारिश तो है एक आसमानी तोहफ़ा।
बरसात क़ुदरत की रूह में समायी है।

Language: Hindi
22 Views
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