बरसात
बारिश आई पहली बौछार,
मन में समाई बनकर प्यार।
मोर पपीहा गीत गाए,
मन हमार गाए मलहार।।
मधुमास का महिना आया,
जिया न लागे हमार।
देश हित में करे नौकरिया
सीमा पर हैं पिया हमार।।
बारिश की बूँदें झर झर आए
मन में शीतलता भर जाए ।
बाग बगीचा हरे भरे लहराए
मन खुशियों से बौ राए।।
धरती भी जल से तर होगई
बहे खुशियों की बहार।
गेहुएँ बदन से महकने लगी
इत्र की सौंधी सौंधी बयार।।
अरे !सूरज दादा क्यों नहीं
आए आज घर से बाहर।
तुम्हारी लाली से ही तो
सजती “आभा “जग मुख पर।।
हाय कितना सुंदर है संसार
उस पर प्रकृति के गुण हजार।
हाय भगवान तुम कैसे सजाते
मंत्रमुग्ध हम देखते सुंदर नजारे।।