बरसात
आज फिर याद आई बरसात कि वो भूली बिसरी यादें।
जो दबाई थी मैंने दिल के किसी कोने में।
याद आई बरसात की वो भूली बिसरी यादें।।
वो दिन ,भी क्या दिन थे जब हम पिरोते थे सपनों की लड़ियां ।
जब बरसती थी सावन की झड़ियां।
आज फिर याद आई बरसात कि वो भूली बिसरी यादें।
जवानी के पहले सावन में बारिश की हर बूंद थी ,हमारे सपनों की हर बूंद।
हर बूंद की लड़ियों के साथ साथ हमारे सपनों को संजोया था हमने ।
आज फिर याद आई बरसात कि वो भूली बिसरी यादें।
मन में उमंग ,तन में उमंग ,बारिश की हर बूंद में उमंग।
उमंगों से भरा था मेरा आसमान ,जब आती थी बरसात।
काश! फिर लौट आए वो बरसात जो बन गई है भूली बिसरी याद।
काश !फिर लौट आए मेरा उमंगों से भरा आसमान जो बन गया है भूली बिसरी याद।
आज फिर याद आई बरसात कि वोभूली बिसरी यादें।।