बरसात
मै राहत दु तेरी साँसो को
की मै शीतल हालात हुँ
मै बुदु तेरी बैचेनी को
कहो क्या मै बात हुँ
तू समझ तो थोड़ा मुझे
मै कैसी जज़्बात हुँ
मेरी कहानी में नाम इतना सा ही मेरा
मै खुद प्यासी बरसात हुँ।
नील गगन में डेरा मेरा
काले बादल आँगन का घेरा मेरा
बिजली मेरे घर की शोर मचाती है
मेरी कहानी में किरदार इतना सा ही मेरा
घटाओ संग निर् बुंद धरा पर लाती हुँ
मै शोख़ हवाओ की संगी
बयार एक तुफानी हुरदंगी
ग्रीष्म काल में छा जाती हुँ
मेरी कहानी में रूप इतना सा ही मेरा
हरीयली बन भा जाती हूँ
मै एक संगीत
दिलकश दिलों की प्रीत
न शब्दकोष में मेरे है, हार और जीत
मै जानु सबका हित
सबके मन में बसा एक ख्यालात हूँ
मै एक बरसात हूँ।
विक्रम कुमार सोनी