बरसात
दिन न वैसा, रात वैसी हो रही है।
अब न उनसे बात वैसी हो रही है।
भीग जाती थी सतह दीवार तक की,
अब कहाँ बरसात वैसी हो रही है।
दिन न वैसा, रात वैसी हो रही है।
अब न उनसे बात वैसी हो रही है।
भीग जाती थी सतह दीवार तक की,
अब कहाँ बरसात वैसी हो रही है।