बरसात
उमड़- घुमड़ कर बादल आये,
काले – काले बादल छाये।
कड़-कड़ बिजली कड़कने लगी,
धरती मानो फड़कने लगी,
पक्षी दुबक गए घोंसलों में,
जान आयी नयी कोंपलों में,
जामुनी से बादल गहराये,
काले – काले बादल छाये।
बादल लगे काली कमली सा ,
बगुलों की कतार रूपहली सा,
ठंडी – ठंडी बहे पुरवाई ,
खेतो में फसले लहराईं,
उदास मन को बादल भाये,
काले – काले बादल छाये।
तालाब में बर्षा की बूंदें गिरे,
हर कली, फूल, पत्ती खिले,
आम, लिची से बागीचे महके,
डाली – डाली चिड़िया चहके,
रुप बदल-बदल बादल आये,
काले – काले बादल छाये।
नूर फातिमा खातून “नूरी” (शिक्षिका)
जिला-कुशीनगर