बरसात
बरसात
बरसात आई मन हर्षित हुआ
प्रकृति ने कृतज्ञता दर्शायी ।
पेड़ – पौधे लहलहाते , फुलों से बाग महकते,
पशु – प्राणियों को घास उग आई ,
चहूंओर हरयाली छायी ।।
बरसात आई मन हर्षाया ,
किसानों ने खेत बीज बोया ।
अंकुरित पौधों को लालन षोषण कर बड़ा किया ।।
बरसात आई मन हर्षाया ,
जीवन में खुशियां आ गयी ।
किसानों की आंखें चमक उठी ,
घर – घर में खुशी आयी ।।
नदियाँ कल – कल बहनें लगी ,
धरती माँ ने भी हरियाली चुनरी ओढ ली ।
बरसात धरा पर जीवन की ज्योति जला रही ।
बरसात सबके मन को लुभावनी , सुहावनी लग रही ।।
पीपल , बरगद , नीम , अशोक व अर्जुन ,
प्राणवायु देकर मानव उपकार कर रहे ।
बरसात में पानों पर बुंद – बुंद चमक उठ़े,
सप्तरंगी रंगों की रंगत लुभा रहे ।।
@ Copyright
राजू गजभिये
gajbhiyeraju@gmail.com