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16 May 2021 · 1 min read

बरसात

बारिशों ने जगाया दिलों में चाह होना,
आप आसान समझते हैं बरसात होना,
है आसमां की छाती और तड़पती बूंदें,
तूने देखा नहीं नदियों का समंदर होना,
खेत लहलहाते ज़मीं बंजर से निकली,
फिर कोई कैसे रुके घर से बाहर होना,
यूं तो मिलते हैं दिखने को जलवे बहुत,
तूने देखा कहाँ बादल का सिकंदर होना,
दिल है जुड़ता प्यास मिटती परिंदों की,
बड़ा दुश्वार है सिकन्दर से कलंदर होना,

7 Likes · 18 Comments · 403 Views
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