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16 May 2021 · 1 min read

बरसात

बिजली की ये गड़गड़ाहट, हवाओं की ये सरसराहट,
बादलों से घिरा आसमान, बारिश कीभीगी बौछार।
बरसात का फिर यूं बरसना
फिर बादलों से टूट कर, पेड़ों के पत्तों को छूकर तेरा जमीं पर बिखर जाना।
बारिश की ये बूंदें प्यासी धरती की मिट्टी को भिगो जाती है।
इस भिगी मिट्टी की सौंधी खुशबू, वो बीती भींगी यादों में ले जाती हैं।
वो मिट्टी की खुशबू, वो बीती यादें मेरे मन को भींगो जाती हैं।
उन भीगी यादों में वह बचपन कहीं फिर से याद आता है।

– नीतू गुप्ता

6 Likes · 8 Comments · 779 Views
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