बरसात
जब बात चली मोहब्बत की
तो तेरी याद चली आई
बादल छाये हर तरफ गगन में
और रिमझिम बरसात चली आई
यूँ तो बारिश बेशुमार हुई
और साथ में एक बौछार हुई
शायद आँखों का पानी था
ना ग़ालिब था ना मजनू था
वो तेरा दिलबर जानी था
यूँ तो हंसने का वादा था
और प्यार अभी तक आधा था
भुला दिया गुजरी यादों को
पर रब को ये मंजूर नहीं
फिर से कुछ बात चली तेरी
और तू फिर एक बार चली आई
बादल छाये हर तरफ गगन में
बस रिमझिम बरसात चली आई
… भंडारी लोकेश ✍️