बरसात हैं आई
बरसात हैं आई, बरसात हैं आई।
नभ में काली – काली घटा ले आई।।
डर से भरी बिजली को संग हैं लाई।
किसानों के आंखो का तारा बनने ये आई।।
पृथ्वी की सतह हरा- भरा करने हैं ये आई।
जीव- जंतुओं के मस्ती का कारण ये लाई।।
जल ही जीवन का अर्थ बताने हैं ये आई।
मरते हुए वनों में जान फूंकने हैं आई।।
खाली पड़े नदी-नालों को भरने ये आई।
जल द्वारा मिट्टी में सोना उगाने हैं आई।।
मोरों के नाचने का दृश्य हैं ये दिखलाई।
जंगलों की खूबसूरती बढ़ाने हैं ये आई।।
लोगो को निरंतरता का पाठ पढ़ाने ये आई।
फूल रूप में वर्षा जल बरसाने हैं आई।।
मानव सफलता की कहानी लिखने ये आई।
ईश्वर होने का प्रमाण ये लेकर आई।।
सूखे पत्तों की जान बनकर हैं ये आई।
धरती की विशाल प्यास बुझाने हैं आई।।
अपनी मौजूदगी का आभास हैं ये ले आई।
तन मन को तरोताजा करने है ये आई।।