बरसात में जवान लड़की मायूस हो जाती है !
अब तो पोखर पर मॉल बने हैं
नालियाँ भी ठसमठस भरे हैं
मेढकों ने टर्राने छोड़ दिए हैं
उनके घर मानचित्र से गायब हैं !
बारिश का पानी सड़क पर पड़ी है
उलझाते धूप ने कीचड़ बना दिए हैं
इधर सड़क सड़ रही वर्षाजल से
औ’ हम पलंग पे खर्राटे भरने लगे हैं !
पहले बरसात के साथ खेलते थे बच्चे
अब इनसे दूर क्यों होने लगे हैं बच्चे
बरसात पे अब रौनक नहीं होती दुनिया
उनके जाने से खुश हो रही क्यों दुनिया ?
अब तो बारिश चक्रवात लेकर आती है
घर, बिजली खम्भे, पेड़ों को उखाड़ती है
अब तो सदाबहार जलफुहार नहीं होते
हरहरे नहीं रेंगते, सिर्फ़ पंछी चोंचें पिज़ाते !
बारिश में धुल जाते हैं बालों के खिज़ाब
तानाशाही मूँछों के अप-डाउन खिताब
दुपट्टे नहीं सूखने से दुर्गंध करने लगती
फिर रसोई से आनंद भी गायब हो जाती !
बरसात में जवान लड़की मायूस हो जाती है
कसम से उनके सपने में आर्द्रता छा जाती है
डेटिंग और उड़ान अंदर तक भींग जाती है
कैरियर कागज की नाव बन धुल जाती है !