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2 Jun 2021 · 1 min read

बरसात बनके रंग हरा दे गया कोई

ग़ज़ल – “बरसात बनके”

चुपके से मेरे दिल को सदा दे गया कोई।
नज़रों से ही पयामे वफ़ा दे गया कोई।।

मुरझा गया था दिल का चमन सख्त धूप में।
बरसात बन के रंग हरा दे गया कोई।।

अय दोस्त तेरी याद ही जीने का सहारा।
तारीकियों में मुझको ज़िया दे गया कोई।।

हर वक़्त खुमारी सी है हर पल है बेखुदी।
मुझको ये जागने की सज़ा दे गया कोई।।

“राना” नसीब मुझ पे हुआ मिहिरवान तो।
उम्मीद से भी ज़्यादा मज़ा दे गया कोई।।

***

© राजीव नामदेव “राना लिधौरी”,टीकमगढ़
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001भारत
मोबाइल- 9893520965
Email – ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com

1 Like · 3 Comments · 316 Views
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