बरसात की याचना
सुनो मेघ–
जब आना,
तब ऐसे
बरसना जैसे,
अमृत बरसता हो,
प्रकृति के तृण -तृण
को ऊर्जा से भर देना,
ऐसे बरसना जैसे,
माँ के नयनों से
प्रेम बरसता है,
और पिता के
ह्र्दय से आशीर्वाद—
सब दुःख धुल देना,
मन को हल्का कर देना,
जीवन को संगीत कर देना,
मेध तुम आपस में
टकराना मत,
गरजना भी धीरे से,
अभी तो,,,,छोटी चिडि़या के,,
घोसले में नन्हें-नन्हें बच्चे हैं,
वो डर जाएगे,
तुम अपने संग
नन्ही बून्दों को लाना,
वो प्रेम का संदेश
सबको सुनाएगी,
मोर नाच उठेगें,
कोयल गीत गाएगीं,
वृक्ष झूमेगें…..
फूल खिलखिलाएगें,
अहा !
कितना मनोरम दृश्य
होगा बरसात का,
और मेघ सब तुम्हे
धन्यवाद देगें||