बरसात का मौसम
खिल उठते है चेहरे, जब आती बरसात ।
झूम उठती है नदियाँ, आते तरु पर पात ।।१
मिट्टी उठती है महक, प्रकृति होती प्रसन्न ।
करते किसान बोवनी, तभी उपजता अन्न ।।२
काले – काले मेघ फिर, घिर आते चहुँओर ।
नभ में दमके दामिनी, भू पर नाचे मोर ।।३
पानी झमाझम बरसे, पवन मचाए शोर ।
समझ हमें आता नहीं, शाम हुई या भौर ।।४
बैठे- बैठे ले रहे, बारिश का आनंद ।
बीच- बीच में सुन रहें, सब आल्हा के छंद ।।५
छाता लगाकर निकले, देखों सब गोपाल ।
साथ- साथ सब जा रहें, आज देखने ताल ।।६
सड़क मार्ग अब बंद है, खेत बने तालाब ।
भारी बारिश हो रहीं, आफत का सैलाब ।।७
जिधर देखते है उधर, हरी- हरी है घास ।
धरा लगती सुंदर है, जैसे जन्नत खास ।।८
मौसम यह बरसात का, जीवन देता यार ।
होती है बरसात ही, धरती का श्रृंगार ।।९
पानी अमृत समान है, यह जग का आधार ।
व्यर्थ कभी न बहाइये, सुने सकल संसार ।।१०