बरसात का जल सबको रिझाता
जब भी बरसात का मौसम आता,
दानव-सा बादल छा जाता,
काले-काले और बड़े- बड़े ,
दिखते हैं खूब घने,
लेकर जल सागर से,
आकर छत के ऊपर खड़े,
सूरज को ढ़क करके,
कुछ क्षण को अंँधेरा करें,
खूब बरसने को तैयार,
घेर रहें है़ दिशा ये चार,
जल्दी-जल्दी सब छुप जाओ,
जहांँ पर हो वहीं रुक जाओ,
बहता पानी बीच सड़क में,
डूब-डूब कर बच्चे जाते,
देख-देख कर सब मुस्कुराते,
साफ-सफाई होती जाती,
उड़ती धूल धरा पर आती,
कीचड़ में पैर सन जाते,
बचने को कोई छतरी लाता,
घर के आंँगन में कोई नहाता,
गरम चाय की प्याली लेता,
सुहाने बरसात के मौसम में,
सपरिवार आनंद मनाता,
बरसात का जल सबको रिझाता ।
# बुद्ध प्रकाश ;मौदहा (उ०प्र०)