बरसात ऐसी भी तो आती है ना !!!
क्षितिज को धूमिल करती
शीतल चाँदनी को मलिन करती
काली घटाओं के साथ बरसती
ऐसी भी तो बरसात आती है ना !
बिछड़े हुए के विरह का गीत बन जाती
प्रेमीयों के जुदाई का सबब बनती
नैनों के नीर संग बह जाती
ऐसी भी तो बरसात आती है ना !
लहरों को मचलने के लिए उकसाती
किनारों की सीमाओं को तोड़ना सिखलाती
पानी संग तांडव मचाती
ऐसी भी तो बरसात आती है ना !
कच्चे घरों के छप्पर उड़ाती
दरवाज़ों की चौखट लांघती
लोगों के सुकून का घात करती
ऐसी भी तो बरसात आती है ना!