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23 May 2021 · 2 min read

बरसात – आपौ: दिव्यम

बरसात – आपौ: दिव्यम

प्रकृति का सूखा हुआ हर एक शरीर
सुख, आनंद, तपिश, दुःख और पीर
बूंदों के ताबड़तोड़ चला कर तीर
सब कुछ गीला कर देती है बरसात l

अपना अमृत पावन जल बरसा कर
धो देती हर ऊंच नीच और जात पात l
हां बरसात जब कभी आती है l
हर मन में उमंग जगाती है l
ये संग लाती है जो जल की धारा
वह धरती की प्यास बुझाती है l

खेत खलिहान हर गांव शहर
कहीं धीरे बरसे कहीं ढ़ा दे कहर
बन जाते हैं बादल नभ में,
इसके गुण शामिल हैं सबमें l
मौसम के बदलते रंग रूप में,
जीवन नित कठिन दौड़ धूप में,
ये तो ढूंढें से भी नहीं मिलती
किसी नदी, तालाब, नल या कूप में l
आती हैं काली घनघोर घटाओं में,
कभी आती है यह मंद धूप में l
रहता है इसका इंतजार
उन सबको जो करते हैं प्यार l
आ जाने से बरसात कभी
बच्चों सा खुश होता हूँ मैं l

टप टिप टप टिप टिप टप टप में,
मेघा उमड़े हैं घनर घनर l
टप टिप टप टिप टिप टप टप
आज बरस रही हैं ये बरसात l
बहुत दिनों से सूखे प्यासे व्याकुल था जीवन में साज l
पहले से ज्यादा लोगों को मन में हर्ष हुआ है आज l
रिमझिम रिमझिम जल स्त्रोत के इस एहसास में,
आओ फिर भीग कर देखे हम इस बरसात में l

जो भी चाहे इसमें भीगना उसे भीगाती है l
बरसात हमे जीवन जीना सिखलाती है l
आदि काल से बरस बरस कर भी ,
बरसात का जल नहीं हुआ है कम l
मानव का मन समझ ना पाए क्यूंकि यह है,
आपौ: दिव्यम… दिव्यम… आपौ: दिव्यम l

जल वर्षा ऋतु पावन पवित्र,
पर्व, संस्कृति की यह सच्ची मित्र l
वर्षा जल का संरक्षण करें,
हम सब ध्यान रखें यह बात l
छम छम छम छम छप छप
छप छप बरस रही है बरसात l
आपौ: दिव्यम… दिव्यम… आपौ: दिव्यम l

-राहुल प्रसाद प्रसाद ? 9213823002
Indian Artist Group ?
ॐ नगर, बदरपुर विधानसभा नई दिल्ली – 110044.

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