बरसती बरसात की बूँदें
श्वैत मोतियों सी होती हैं
बरसती बरसात की बूँदें
जब सटीक वक्तानुसार
नभ से धरती के वक्ष पर
रिमझिम रिमझि टिप टिप
प्यासे पपीहे की तिषा को
शांत और बुझाती हुई सी
और सूखे पोखर,ताल में
नीर.को तरसतेमेंढ़कों की
टर्र टर्र की तीव्र ध्वनि को
शांत और विराम स्थायित्व
प्रदान करती हुई मस्ती से
मचलती हुई बूँदे बरसती हैं
तो करती हैं शांत और तृप्त
खेतिहर की जिज्ञासा को
कर देती हैं सूखी फसलों को
हरीभरी और तरोताजा और
करती हैं तरूवर के मैले हूए
पर्णों को साफ,गहरे हरे से
प्रदान करता है नवयौवन
उभरते हूए पेड़- पौधों कौ
पैदा करता हैतरूण-तरूणी
की तरुणाई में तरुणिमा के
मनोभाव और प्रेम-अनुराग
अनुभूति का हृदय पटल पर
व्याकुल और विचलित करता
अविस्मरणीय भाव संचरण
और उत्पन्न करता है जिज्ञासा
वियोगी और एकाकीपन मन में
बिछुड़े और दूर गए प्रेमी से
मिलने की तीव्र लालसा और
मुलाकात के संयोगी भाव
ताकि हो जाए प्रेमिल भावनाएं
तृप्त, शांत,स्थिर,शिथिल और
मिल जाए दिल में उठे हुए
ज्वालामुखी से मनोभावों को
संतुष्टि ,परितृप्ति और विराम
सुखविंद्र सिंह मनसी