बरखा
नील गगन में बादल गरजे
उमड़ घुमड़ कर शोर मचाते
जाने किस छोर से आ जाते
कभी आंख मिचौली खेलते
भर अपने संग पानी लाते
रिमझिम रिमझिम खूब बरसते
प्यारी बरखा रानी आती
छम छम सी करती
संग हवा भी पंख डुलाती
खेतों में लहराती फसलें
खुशहाली और समृद्धि लाती
कल -कल नदियां बहती
झर झर पर्वत पर झरना
चारों ओर लगें सुहाना।
कण-कण में वर्षा जल महकें
बाल बच्चों को खुश कर देती
कागज की कश्ती पानी में बहती
जीवन में खुशियां भर देती
धरा पर बसंत छा जाता
कुसुम मुस्कान बिखराते
पेड़ों पर कोयल बोली
मयुर मनमोहक नृत्य करते
दादुर ने खोला कंठ
घर आंगन में बने पकवान
बच्चे बड़े सब लेते आनन्द
बरखा की बात निराली
संग लाती रुत मस्तानी
आई प्यारी बरखा रानी
नेहा