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31 Mar 2019 · 1 min read

बरखा

हाइकू

श्यामल घटा
दमकत दामिनी
घन बरसे।

ओ घनप्रिया
मेघाच्छादित नभ
आयी बरखा।

श्रावण मास
नाचे सौदामिनी
बरसे नैना।

छाये बदरा
घनप्रिया के संग
झूम घटाएँ।

मैं विरहिन
चमके है दामिनी
आजा पिया तू।

रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
©

Language: Hindi
545 Views
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