बरखा रानी
हंसा जब नभ खिलखिला कर
मानो सूचित कर रहा हमें,
सतर्क हो जाओ सभी,
आ रही है बरखा रानी अपने साथी के संग,
खुशी से झूमने लगे पेड़ पौधे सब,
मानो मिल रहे अपने माता से वर्षों के बाद,
नदियां भी बांटे आमंत्रण पत्र,
जैसे उत्सव हो घर में कोई,,
संवार रही है धरती अपने आंगन को,
लुटा रहीं हैं तौहफा ऐसे,
जैसे आ रही कन्या उसकी,
मिलने कई महीनों के बाद,
बेसब्री से गले लगाने को,
ना जाने कब से कर रही इंतजार,
कम ना कुछ स्वागत में उसके,
सभी से कह रही बारम्बार,
झूम रहे चिड़या सब ,
गा रहेे सब राग मल्हार,
अपने बरखा रानी का,
शायद उन्हें भी है इंतजार,
खेत खलिहान भी ठुमक रहें,
देखो आईं बरखा रानी,
जिसका था हमें इंतजार।