Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Jul 2016 · 3 min read

बयाँ-ए-कश्मीर

मैंने कहा कि धरती की है स्वर्ग ये जगह
उसने कहा की अब तुम्हारी बात बेवजह
सुनता जरूर हूँ कि थी ये खुशियों की ज़मीं
धन धान्य से थी पूर्ण , नहीं कुछ भी थी कमीं
हिम चोटियां ही रचती इसका खुद सिंगार है
बसता कही है गर यहीं परवर दिगार है
झीलों की श्रृंखलाएँ यहाँ मन है मोहती
हरियाली यहाँ आके अपना नूर खोलती
केसर की क्यारियां थीं , पंक्तिया गुलाब की
कुछ बात ही जुदा थी इसके शबाब की
लेकिन जो मैंने देखा है मजबूर हो गया
गम-दर्द-आह-अश्क से हूँ चूर हो गया
तुम ये समझ रहे हो मुझे कुछ गुमाँ नहीं
तुमने न देखा खून , आग और धुआं नहीं
तुमने फ़कत सजाई है तस्वीर ही इसकी
तुमने पढ़ी किताबों में तहरीर है इसकी
सुनो आज कह रहें हैं मेरे अश्क दास्ताँ
इंसानियत, ईमान का है तुमको वास्ता
मैं दूध पी सका न कभी माँ के प्यार का
नहीं याद मुझको वक़्त है बचपन बहार का
माँ ने कभी लगाया नहीं मुझको डिठौना
गीला हुआ तो बदला नहीं मेरा बिछौना
होती है चीज़ ममता क्या , ये जान ना सका
मैं माँ की गोद भी तो पहचान ना सका
मैं ना हुमक सका कभी माता की गोद में
ना उसको देख पाया कभी स्नेह, क्रोध में
कभी बाप की ऊँगली पकड़ के चल न पाया मैं
और मुट्ठियों में उसकी मूंछ भर न पाया मैं
उससे न कर सका मैं जिद मिठाई के लिए
आँगन में लोट पाया न ढिठाई के लिए
राखी के लिए सूनी रही हैं कलाइयां
हैं गूंजती जेहन में बहन की रुलाइयाँ
दिन और महीना याद है न साल ही मुझे
जिस दम कि मेरी जिंदगी के सब दिए बुझे
कहते हैं लोग आग की लपट था मेरा घर
और गोलिया आतंक की ढाने लगी कहर
फिर कुछ नहीं बाकि बचा मेरे लिए यहाँ
कहती हैं किताबें की बसता स्वर्ग है यहाँ
कापी , कलम, किताब मदरसे नहीं देखे
कहते किसे ख़ुशी हैं वो जलसे नहीं देखे
लाशों को ढोकर कांधे पे है गिनतियाँ सीखी
विद्या के नाम शमशां सजाना चिता सीखी
अब बोलो तुम्ही इसके बाद क्या है ज़िन्दगी?
हम सर कहाँ झुकाएं करें किसकी बंदगी
इक आस की किरण हैं तो जवान फ़ौज के
है जिनकी बदौलत कि हिन्दुस्तान मौज से
उनकी ही बदौलत यहाँ आ सकती है अमन
उनके सिवा न कोई बसाएगा ये चमन
उनके भी हाथ बांधती है रोज हूकूमत
गर है कोई गिला तो अफ़सोस हूकूमत
हर रोज यहाँ बेगुनाह मारे जा रहे
पर जाने कैसे सोचती है सोच हूकूमत
जाकर कहो उनसे कि सियासत न अब करें
आखिर, कितना, कोई कैसे सब्र अब धरे
कश्मीर में बहती है रोज खून की नदी
है जिससे दागदार एक पूरी ही सदी
है जल चूका चरार-ए-शरीफ यहाँ पर
हैं हजरत बल में खून के धब्बे मीनार पर
दहशत का है गवाह , मंदिर रघुनाथ का
और अब तो पृष्ठ जुड़ गया है अक्षर धाम का
कश्मीर की विधान सभा , दिल्ली की संसद
आतंक इनका धर्म है इनका यही मकसद
आखिर कब तलक हम यहाँ सब्र ढोयेंगे
हम जाके किसकी किसकी कहो कब्र रोयेंगे
बन्दुक , गोली , खून ये इस्लाम नहीं है
कुरआन औ हज़रत का ये पैगाम नहीं है
दिल्ली से कहो जंग का ऐलान अब करे
दहशत को मिटा देने का ऐलान अब करे
दे फ़ौज को आदेश अब दहशत मिटाने का
आएगा फिर से वक़्त न मातम मनाने का
दुनिया में जब तलक ये पाकिस्तान रहेगा
आतंक से घायल ये हिंदुस्तान रहेगा
आतंक समझता नहीं है हर्फ़े मोहब्बत
इंसानियत को दाग देता, देता है तोहमत
बन्दुक की गोली को नहीं फूल चाहिए
मक्कारों के न सामने उसूल चाहिए
…….रविन्द्र श्रीवास्तव”बेजुबान”…….

1 Comment · 598 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हम दुनिया के सभी मच्छरों को तो नहीं मार सकते है तो क्यों न ह
हम दुनिया के सभी मच्छरों को तो नहीं मार सकते है तो क्यों न ह
Rj Anand Prajapati
*हमारे बीच फिर बातें, न जाने कल को होंं न हों (हिंदी गजल/ गी
*हमारे बीच फिर बातें, न जाने कल को होंं न हों (हिंदी गजल/ गी
Ravi Prakash
स्वप्न लोक के वासी भी जगते- सोते हैं।
स्वप्न लोक के वासी भी जगते- सोते हैं।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
बाढ़ का आतंक
बाढ़ का आतंक
surenderpal vaidya
2741. *पूर्णिका*
2741. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पिता
पिता
sushil sarna
श्रेष्ठ विचार और उत्तम संस्कार ही आदर्श जीवन की चाबी हैं।।
श्रेष्ठ विचार और उत्तम संस्कार ही आदर्श जीवन की चाबी हैं।।
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
"संविधान"
Slok maurya "umang"
पाकर तुझको हम जिन्दगी का हर गम भुला बैठे है।
पाकर तुझको हम जिन्दगी का हर गम भुला बैठे है।
Taj Mohammad
ज़िदादिली
ज़िदादिली
Shyam Sundar Subramanian
नम आंखों से ओझल होते देखी किरण सुबह की
नम आंखों से ओझल होते देखी किरण सुबह की
Abhinesh Sharma
लौट कर वक़्त
लौट कर वक़्त
Dr fauzia Naseem shad
दिखा दूंगा जहाँ को जो मेरी आँखों ने देखा है!!
दिखा दूंगा जहाँ को जो मेरी आँखों ने देखा है!!
पूर्वार्थ
आखिर क्या कमी है मुझमें......??
आखिर क्या कमी है मुझमें......??
Keshav kishor Kumar
शृंगार छंद
शृंगार छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
**पी कर  मय महका कोरा मन***
**पी कर मय महका कोरा मन***
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
झूम मस्ती में झूम
झूम मस्ती में झूम
gurudeenverma198
हमें लिखनी थी एक कविता
हमें लिखनी थी एक कविता
shabina. Naaz
यादों के जंगल में
यादों के जंगल में
Surinder blackpen
The sky longed for the earth, so the clouds set themselves free.
The sky longed for the earth, so the clouds set themselves free.
Manisha Manjari
नागपंचमी........एक पर्व
नागपंचमी........एक पर्व
Neeraj Agarwal
यादगार
यादगार
Bodhisatva kastooriya
हम तो कवि है
हम तो कवि है
नन्दलाल सुथार "राही"
जो मेरी जान लेने का इरादा ओढ़ के आएगा
जो मेरी जान लेने का इरादा ओढ़ के आएगा
Harinarayan Tanha
नारी हूँ मैं
नारी हूँ मैं
Kavi praveen charan
"विडम्बना"
Dr. Kishan tandon kranti
कौन उठाये मेरी नाकामयाबी का जिम्मा..!!
कौन उठाये मेरी नाकामयाबी का जिम्मा..!!
Ravi Betulwala
प्रथम शैलपुत्री
प्रथम शैलपुत्री
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
"जब मिला उजाला अपनाया
*Author प्रणय प्रभात*
फितरत ना बदल सका
फितरत ना बदल सका
goutam shaw
Loading...