बब्बर शेर
मैं बड़े मनोयोग से अपनी नई ग़ज़ल का शेर लिखने लगी हुई थी। पूरा ध्यान उसी पर केंद्रित था। एक दमदार शेर दहाड़ने ही वाला था कि कानों में बब्बर शेर की सी आवाज आई। इस फोन से परेशान गया हूँ। जब देखो हाथ मे वही… किसी दिन फेंक दूँगा इसे बाहर…और भी न जाने क्या-क्या……। मेरा शेर दहाड़ना भूलकर फौरन गीदड़ बनकर दिमाग मे वापस दुबक कर बैठ गया। बब्बर शेर के आगे उसकी क्या औकात….??
16-09-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद