बन्दगी
बन्दगी
जिन्दगी है ये कृपा प्रभु की,
इसको जरा सम्भालना तू ।
करना प्रभु की बन्दगी सदा,
आज इंसान का तू कर रहा ।
जीवन मिला मानव का गर,
है उस प्रभु की तुझपर कृपा।
मत खोना इसे अपने अहं में,
सत्कर्म में सदा संलग्न रहना।
बन्दगी पहली गुरु की हो सदा,
पथप्रदर्शक गुरू ही तो है यहाँ।
पथ को उसने ही तो दिखाया ,
जो जाता प्रभु के धाम तक है।
माता पिता की बन्दगी करना,
संसार में लाये वही तुझको हैं।
ईश्वर ही है सर्वेश्वर जगत के ,
अपने अहं में कभी न भूलना।
जड़जगत धन और वैभव सभी,
सब यहीं रहता न जाता साथ है।
कर सके तो करना भला जग का,
बस अंत में साथ यही तो जायेगा।
डॉ.सरला सिंह, स्निग्धा
दिल्ली