बनी दुलहन अवध नगरी, सियावर राम आए हैं।
बनी दुलहन अवध नगरी, सियावर राम आए हैं।
उठा नजरें जरा देखो, अलख सौगात लाए हैं।
सरोरुह से नयन कोमल, सरल व्यौहार है इनका,
सखी आओ चलें देखें, सुखों के धाम आए हैं।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
बनी दुलहन अवध नगरी, सियावर राम आए हैं।
उठा नजरें जरा देखो, अलख सौगात लाए हैं।
सरोरुह से नयन कोमल, सरल व्यौहार है इनका,
सखी आओ चलें देखें, सुखों के धाम आए हैं।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद