बनारसी इश्क……
मै हो गया बनारस तू मुझमे
अस्सी घाट सी बसती है
घूमता फिरता हूँ तुझमे
हर तरफ तू ही तू दिखती है
गंगा घाट है तू मेरा
जिस मे लगा के डुबकी
थाम ली है इश्क की किश्ती
डूबना और तरना ये तो सब
अब गुरु अपने भोले की मर्जी
अविरल बहती धारा सी तू
तुझमे स्नान कर मै भी पावन हो गया
बम भोले की दम सी है तू
जिसका नशा है मुझको हो गया
दीपों से प्रज्ज्वलित गंगा घाट है तू
तेरे यौवन के तेज मे ऐसा खो गया
नश्वर शरीर को त्याग ती है हर पल तू
मेरा भी सांसारिक मोह हुआ है भंग
जबसे इश्क तुझसे हो गया
गली गली घूम कर प्यार की बारिश मे भीग
निश्च्छल प्रेम तुझसे हो गया
शहर के ठगों सी है तू मुझको ठग
सब कुछ लूट लिया मेरा
बचा जो बाकी वो भी अब तेरा हो गया
ये उस भोले की काशी है
जीवन एंव मृत्यु दोनों जिसकी दासी है
शहर शहर घूमा गंगा घाट सा दृश्य कहीं न
ये वो नगरी है जँहा अंत और आंरभ दोनों दिखता
रोम रोम मे है मेरे काशी
मुझमे भी इक बनारस है बसता………..
#निखिल_कुमार_अंजान…….