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29 May 2022 · 1 min read

बदल रही है ज़िंदगी

चल रही है ज़िंदगी!
बदल रही है ज़िंदगी!!
ठोकरें खाती हुई
सम्भल रही है ज़िंदगी!!
तख्त और ताज की
रस्म और रिवाज़ की!
सारी हदों को लांघकर
निकल रही है ज़िंदगी!!
#प्रेरणा #प्रेरक #motivation #lyricist #Inspiration #poet #geetkar #कवि

Language: Hindi
167 Views
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