बदल रही है ज़िंदगी
चल रही है ज़िंदगी!
बदल रही है ज़िंदगी!!
ठोकरें खाती हुई
सम्भल रही है ज़िंदगी!!
तख्त और ताज की
रस्म और रिवाज़ की!
सारी हदों को लांघकर
निकल रही है ज़िंदगी!!
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