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22 Apr 2020 · 1 min read

बदल रही जिंदगी

********बदल रही जिंदा*********
*****************************

उलझने छाई हुई जिन्दगी में इस कदर
बेबसी नजर आए यहाँ आज हर तरफ
मायूसी ने छीना है अमन चैन जिन्दगी
बैचेनियाँ उदासियाँ बढ़ रही हर तरफ

मौसम की भांति रंग बदल रही जिंदगी
हंसाती तो कभी रुलाती रहती जिंदगी
नूतन ने पुरातन के रंग ढंग बदल दिए
सारंग में बेरंग दिखे जिन्दगी हर तरफ

मोह लोभ में वशीभूत हुआ है इस कदर
स्वार्थों ने ताना बाना तोड़ दिया है मगर
उजालों में तमस का जाला सा छा गया
अंधेरों में गुमनाम हुई जिंदगी हर तरफ

इंसानियत का संसार में पहरा हट गया
भाई का भाई से हैं मोह भी घट गया
तमाशबीन बन कर रह गए नेक इंसान
दुर्जन ही दुर्जन नजर आते हैं हर तरफ

सृष्टि को किसी की दृष्टि है निगल गई
मानवता की लगता है सीढी फिसल गई
मानवीय मूल्यों का यहाँ विनाश हो रहा
सुखविंद्र बेकार जिन्दगी दिखे हर तरफ
******************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
1 Like · 277 Views
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