बदल गई काया सुनो, रहा रूप ना रंग।
बदल गई काया सुनो, रहा रूप ना रंग।
आंखों में इतिहास है, थर थर कांपे अंग।।
देख रहा मैं दूर तक, जीवन का उत्थान
ढलता सूरज कह रहा, अभी आत्मा संग।।
सूर्यकांत
बदल गई काया सुनो, रहा रूप ना रंग।
आंखों में इतिहास है, थर थर कांपे अंग।।
देख रहा मैं दूर तक, जीवन का उत्थान
ढलता सूरज कह रहा, अभी आत्मा संग।।
सूर्यकांत