बदलाव
बदलाव
लोगों के मुख से
सुना जाता है अक्सर
नहीं हो रहा बदलाव
खड़ा है समाज
खड़ी है दुनिया
पुराने ढर्रे पर
मेरा है मानना
हो रहा है बदलाव
लेकिन
हो रहा है उतना ही
जितना आप स्वयं
कर रहे हो
अजीब बात है यह
आप चाहते हो
संपूर्ण बदलाव
लेकिन कर रहे हो
आंशिक ।
-विनोद सिल्ला