Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Jun 2022 · 1 min read

बदलती दुनिया

हमारी ये जगत, ख़लक
है पूरी तरह कुंडलाकार
हर लम्हे के संग संग ये
बदलती रही है ये भुवन
दुनिया में न कोई एदुजा
अपना इस जग संसार में।

इस जहान के कई अनूठा
दिलजस्वी मजेदार दास्ताँ
जिससे पता चलता यहां
इस भू, धरा की इतिहास
इतिवृत से हम मनुजों को
पूर्ववृत्तांत की अभिज्ञता ।

लोक पर कब हयातों की
शुरुआत हुई इस भव में
इसका भी कूत, कयास
लगाना भी बड़ी दुस्साध्य
हमारे वैज्ञानिकों की यत्न
सतत बदल रही है दुनिया ।

अमरेश कुमार वर्मा
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार

Language: Hindi
2 Likes · 230 Views

You may also like these posts

सब डरें इंसाफ से अब, कौन सच्चाई कहेगा।
सब डरें इंसाफ से अब, कौन सच्चाई कहेगा।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
बाह रे चाय
बाह रे चाय
Dr. Kishan tandon kranti
स्वास्थ्य ही जीवन का मूल आधार
स्वास्थ्य ही जीवन का मूल आधार
Neha
आंखें भी खोलनी पड़ती है साहब,
आंखें भी खोलनी पड़ती है साहब,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
***** सिंदूरी - किरदार ****
***** सिंदूरी - किरदार ****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
उड़ चल रे परिंदे....
उड़ चल रे परिंदे....
जगदीश लववंशी
एहसास
एहसास
भरत कुमार सोलंकी
अलविदा
अलविदा
Dr fauzia Naseem shad
कौन किसकी कहानी सुनाता है
कौन किसकी कहानी सुनाता है
Manoj Mahato
#क़तआ (मुक्तक)
#क़तआ (मुक्तक)
*प्रणय*
जीवन के अंतिम पड़ाव पर लोककवि रामचरन गुप्त द्वारा लिखी गयीं लघुकथाएं
जीवन के अंतिम पड़ाव पर लोककवि रामचरन गुप्त द्वारा लिखी गयीं लघुकथाएं
कवि रमेशराज
आइए मोड़ें समय की धार को
आइए मोड़ें समय की धार को
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
आलता-महावर
आलता-महावर
Pakhi Jain
आम के आम, गुठलियों के दाम
आम के आम, गुठलियों के दाम
अरविन्द व्यास
संघर्ष का अर्थ ये नही है कि
संघर्ष का अर्थ ये नही है कि
P S Dhami
अपने जमीर का कभी हम सौदा नही करेगे
अपने जमीर का कभी हम सौदा नही करेगे
shabina. Naaz
वो नसीबों का सिकन्दर हो न हो ।
वो नसीबों का सिकन्दर हो न हो ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
आए थे बनाने मनुष्य योनि में पूर्वजन्म की बिगड़ी।
आए थे बनाने मनुष्य योनि में पूर्वजन्म की बिगड़ी।
Rj Anand Prajapati
फिल्म तो सती-प्रथा,
फिल्म तो सती-प्रथा,
शेखर सिंह
चंद्रयान
चंद्रयान
Meera Thakur
बस यूं ही कुछ हो गया था।
बस यूं ही कुछ हो गया था।
Kumar Kalhans
खिङकियां
खिङकियां
Meenakshi Bhatnagar
माँ-बाप की नज़र में, ज्ञान ही है सार,
माँ-बाप की नज़र में, ज्ञान ही है सार,
पूर्वार्थ
सारे निशां मिटा देते हैं।
सारे निशां मिटा देते हैं।
Taj Mohammad
वो एक रात 10
वो एक रात 10
सोनू हंस
हां मैं एक मजदूर हूं
हां मैं एक मजदूर हूं
डॉ. एकान्त नेगी
शीर्षक: बाबुल का आंगन
शीर्षक: बाबुल का आंगन
Harminder Kaur
3479🌷 *पूर्णिका* 🌷
3479🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
तुम मेरे हो
तुम मेरे हो
Rambali Mishra
दिवाली
दिवाली
Ashok deep
Loading...