*बदलता_है_समय_एहसास_और_नजरिया*
निरंतर बदलता है समय,एहसास और नज़रिया।
ये दुनिया उसकी है,जो समय के संग चल दिया।
तीन ऋतुएं हैं जीवन की,इन्हें संभालकर चलना,
बचपन सुबह,बुढ़ापा शाम,है जवानी दोपहरिया।
समय के साथ होता है जीवन का असल में बोध,
जीने का सलीका सिखाती है बाखूबी ये दुनिया।
रोज़ी कमाने में समय का एहसास कहां रहता है,
जब एहसास हुआ तब वक्त ने किनारा कर लिया।
सभी इसके आगे झुकते हैं,यही क्रूर बादशाह है,
जो इसके आगे नहीं झुका,तो उसने सबक लिया।
समय ज़ख्म देता है और फिर भरता भी यही है,
इसकी एक खूबी है,इसने सदा ही इंसाफ़ किया।
आओ समय की कद्र करें,इसको साथी बना लें,
फिर जीवन होगा हमारा आसान और बढ़िया।
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सुधीर कुमार
सरहिंद फतेहगढ़ साहिब पंजाब।