बदलता जमाना
शीर्षक -बदलता जमाना
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ऐ! मेरे नादान मन, तू चलता चल,
बीती मीठी यादें दिल में, करें हैं
हल चल।
वो बचपन की सुनहरी बातें,
जो हमने साथ की थी।
वो बचपन हमारा खुशियों भरा था,
ना कोई मैल मन में,ना किसी से
शिक़ायत थी।।
सभी के दिलों में खुशियों के फूल
बरसते ।
सभी को गले लगा,लोग मुस्कुरा के
मिलते ।।
आज समय का ऐसा पहिया घूमा,
सबको कर दिया बैगाना।
प्रेम दिलों में रहा नहीं,छल करता है
साया ही अपना।।
किसको अपना समझें, स्वार्थ के हैं
सारे रिश्ते।
जिस पर कर दो पैसों की बारिश,
वही हैं अपने खास रिश्ते।।
मानव ही मानव का दुश्मन बन बैठा है आज।
मानवता के लिए, धरा तरसती है आज।।
हर दिल में क्रूरता, और नफरत की आग।
जग में लगा है इसीलिए, भ्रष्टाचार का दाग़ ।।
हे प्रभु! तुम प्रेम भरे नीर की,
बौछार कर दो ।
सबके हृदय में, प्रेम का सागर भर दो।।
सुषमा सिंह*उर्मि,,