बदतमीज
डरता नही दुखता नही
निरनकुश हो गया है
इंसान इस जगत का
इंसानी चोले में शैतान हो गया है
हवस हुई है हावी
संस्कार खो गया है
लज्जा को लाज आयी
व्यभिचार बढ़ गया है
नग्नता का व्यापार
उन्मुक्त हुआ अनर्गल
कलयुगी जगत का
रूप अब अधिकतम
भिभत्स हो गया है
भिभत्स हो गया है
किसको सुनाऊं
जाकर ब्यथा इस
हृदय की हर शख्स
इस व्यथा का
शिकार हो गया है
बोये थे आम
निक्लेंगे नीम और करेले
कभी सोचा न था
धरती माँ का व्यवहार
अनोखा हो गया है
डरता नही दुखता नही
निरनकुश हो गया है
इंसान इस जगत का
इंसानी चोले में शैतान हो गया है
** एक अबोध बालक 😢अरुण अतृप्त