बताने से रहा
पढ़ लो ख़ामोशी मेरी मैं कुछ बताने से रहा
तुमसे इश्क है बेपनाह है ये जताने से रहा
अबकी बार रस्सी बुलाए तो खत्म किस्सा
मैं हर बार तिरे लिए अपनी जान बचाने से रहा
तुम नहीं मिली तो मौत के गले लग जाऊंगा
यूँ तुम बिन तन्हाई में घुट घुट कर जीने से रहा
रंज बढ़ेगा तो और ग़ज़लें करुँगा ख़ूँ थूकुंगा
हिज्र के बाद मैं शराब ओ सिगरेट पीने से रहा
इक इक पहर तिरे याद में बे – जान कर दूँगा
तेरे बगैर खुद को सही सलामत रखने से रहा
@कुनु