बताओ मुझे
मुझमें बसती है जान तुम्हारी ये हैं मालूम मुझे
मेरी बात से करते शुरू दिन हैं मालूम मुझे
रात होती मुझसे बात करके तुम्हारी है मालूम मुझे
हर पल रहता मेरा ही ख्याल हैं मालूम मुझे
क्यों करते हो तुम मुझसे इतनी मोहब्बत??बताओ मुझे।
जब बात नहीं होती तुमसे तब डर जाते हैं मालूम मुझे
हर पल डर रहता है मुझे खोने का तुमको,हैं मालूम मुझे
मुझसे तुम करते हो मोहब्बत बेइंतिहा हैं मालूम मुझे
मैं भी तो करती हूँ मोहब्बत तुमसे हैं मालूम मुझे
क्यों करते हो तुम मुझसे इतनी मोहब्बत??बताओ मुझे।
पल पल दिल मेरा भी दुःखी होता है दूर रह कर तुमसे
तुम भी तो होते हो तकलीफ़ में दूर रह कर मुझसे
हर दम चेहरे पर मुस्कान दिल में दर्द होता है दूर रह कर
कैसे करूँ तकलीफ कम यही सोचती हूं दूर रह कर तुमसे
क्यों करते हो तुम मुझसे इतनी मोहब्बत??बताओ मुझे।
मैं भी होती परेशान तुम्हारी तकलीफ से,तुमसे दूर रह कर
तुरन्त ही फ़ोन से बात करती हूँ तुमसे दूर रह कर
बात से दिलासा मिलता दिल को मेरे तुम से दूर रह कर
मेरी उदासी कम हो जाती हैं बात से तुम से दूर रह कर
क्यों करते हो तुम मुझसे इतनी मोहब्बत??बताओ मुझे।
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद