बढ़े चलो ऐ नौजवान
बढ़े चलो ऐ नौजवान,
देश के मजदूर किसान।
आज की ब्यवस्था को हमें,
लड़ के ही बदलना है।
लड़ के ही बदलना है,
हमें लड़ के ही बदलना है।
लड़ते लड़ते ही बचाएंगे,
हम देश का संविधान।
बढ़े चलो ऐ . . . . . .
अत्याचारी राज है,
रोजगार है न काज है।
शोषण पीड़ित समाज है,
महिला पे गिरते गाज है।
ऐसी ही ब्यवस्था को हमें,
जड़ से ही कुचलना है।
जड़ से ही कुचलना है,
हमें जड़ से ही कुचलना है।
आंधी लायेंगे या तुफान,
मन में ली है हमने ठान।
बढ़े चलो ऐ . . . . . .
पूंजीपति खुशहाल हैं,
जनता का हाल बेहाल है।
कर्ज में डूबा किसान है,
उद्योगपतियों को माफ है।
निकम्मों की ब्यवस्था को,
अब हमको ही बदलना है।
हमको ही बदलना है,
अब हमको ही बदलना है।
देश न बिकने देंगे,
है भारत मेरा महान।
बढ़े चलो ऐ . . . . . .