बडा ही शुकून मिलता है
बडा ही शुकून मिलता है जब भी पीपल / बरगद की छांव में बैठता हूं,
हृदय आनन्द से प्रफुल्लित हो जाता है जब भी अपनों में बैठता हूं !
महकती मिट्टी का एहसास होता है जब भी गांव में बैठता हूं,
जिंदगी की मुश्किलें आसान हो जाती है, जब भी बुजुर्गों के पांव में बैठता हूं !
– कृष्ण सिंह